स्वतंत्र भारत में स्वतंत्रता

स्वतंत्र भारत में स्वतंत्रता इस वर्ष भारत को स्वतंत्र हुए 77 वर्ष हो गए। 1947 में मिली स्वतंत्रता सैकड़ो वर्षों के सतत प्रयासों का परिणाम था। परंतु सबसे प्रमुख प्रश्न यह है कि स्वतंत्रता का अर्थ क्या है? क्या केवल औपनिवेशिक शासन की समाप्ति स्वतंत्रता थी या शासन की बागडोर भारतीयों के हाथ में आ जाना स्वतंत्रता थी ? स्वतंत्रता एक व्यापक अवधारणा है। मनुष्य जब मनुष्य के रूप में विकसित हो रहा था तो सबसे पहले वह दो पैरों पर चलना सीखा और आगे के दोनों पैर हाथ के रूप में विकसित हुए और मनुष्य आगे के दोनों पैरों से मुक्त हुआ। कृषि के आविष्कार से मनुष्य भटकने से एक हद तक स्वतंत्र हुआ। परंतु जब मनुष्य प्राकृतिक दासताओं से स्वतंत्र हो ही रहा था उसी समय अनेक नये और अनजान गुलामी की जकड में फंस भी रहा था । धीरे-धीरे काबिले बने,समुदाय बने, राज्य बना, दास बने और मनुष्य नए नए जंजीरो में जकड़ता चला गया। लेकिन मनुष्य का चित्त हमेशा से मुक्तिकामी रहा है। हमारे यहाँ जीवन के चार उद्देश्य माने गये- धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष। मोक्ष की अवधारणा एक तरह से परम स्वतंत्रता के स्थिति की है। परंतु मोक्ष केवल ...